पंजाब में नगर निगम और परिषद के चुनाव में हो रही देरी के मामले की हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। जहां अदालत ने सरकार को फटकार लगाते हुए पूछा है कि इनका कार्यकाल खत्म होने के बाद भी चुनाव क्यों नहीं करवाए जा रहे हैं। अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई 23 सितंबर तय की है। अगली सुनवाई पर इस मामले में सरकार (स्थानीय निकाय विभाग के प्रधान सचिव) को जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया है। मालेरकोटला निवासी बेअंत सिंह की तरफ से अदालत में केस दायर किया गया है।
बेअंत सिंह ने अपनी याचिका में बताया है कि पंजाब की 42 म्यूनिसिपल काउंसिल का कार्यकाल खत्म हुए कई महीनों का समय बीत चुका है। लेकिन सरकार द्वारा चुनाव नहीं करवाए जा रहे हैं। इस वजह से सभी इलाकों में विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। सभी काउंसिल का कार्यकाल दिसंबर 2023 में पूरा हो गया था। अगस्त 2023 में स्थानीय निकाय विभाग ने म्यूनिसिपल काउंसिल के चुनाव करवाने के लिए अधिसूचना जारी की थी। जिसके मुताबिक एक नवंबर 2023 तक चुनाव करवाने थे। लेकिन नहीं करवाए गए।
याची ने बताया बताया कि उसकी तरफ से सरकार को चुनाव करवाने के लिए 5 जुलाई को एक कानूनी नोटिस भेजा गया था। लेकिन उसे सरकार की तरफ से अभी तक कोई जवाब नहीं दिया गया है। ऐसे में उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर चुनाव करवाने की मांग की है। संविधान के मुताबिक म्यूनिसिपल काउंसिल के चुनाव उनके कार्यकाल खत्म होने से पहले करवाने जरूरी होते है। एक अन्य याचिका में कोर्ट को बताया गया है कि अमृतसर, लुधियाना, जालंधर, पटियाला और फगवाड़ा नगर निगमों के कार्यकाल खत्म होने भी चुनाव नहीं करवाए गए हैं। ऐसा कर सरकार जमीनी स्तर पर लोगों के अधिकारों का हनन कर ही है।