कनाडा सरकार ने एक बार फिर से पंजाबी छात्रों को बड़ा झटका दिया है। दरअसल, कनाडा सरकार ने नए इमिग्रेशन यानी आव्रजन नियम लागू कर दिए गए हैं। ऐसे में ट्रूडो सरकार की इस कारवाई से पढ़ाई, नौकरी और वहां जाकर बसने वाले भारतीयों के लिए नई दिक्कतें पैदा हो गई हैं। खासकर पंजाब में एजुकेशन और इमिग्रेशन कंसल्टेंसी का कारोबार करने वाले कनाडा के इस फैसले से हैरान हैं, क्योंकि उनका कारोबार सुस्त पड़ गया है। कनाडा के आप्रवासन, शरणार्थी और नागरिकता मंत्री मार्क मिलर ने विदेशी विद्यार्थियों और कार्मिकों के लिए नए आव्रजन नियमों की घोषणा की है। इस कारण पंजाब से जाकर वहां शिफ्ट होने वालों की योजनाओं में खलल पड़ गया है।
कोविड-19 महामारी से पहले कामगारों की कमी होने के चलते कनाडा में आव्रजन नियमों में ढील दी गई थी। जिसके चलते बीते कुछ वर्षों में वहां छात्रों और श्रमिकों की संख्या में जमकर बढ़ोतरी हुई। लेकिन बीते साल खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या के बाद जस्टिन ट्रूडो के बेतुके बयान और उस पर भारत की सख्त प्रतिक्रिया ने दोनों देशों के संबंध में एक दरार डाल दी है। समझ जाता है कि इस कारण भी आव्रजन नियमों को सख्त कर दिया गया है। कुछ लोग ट्रूडो सरकार के इस कदम के पीछे स्थानीय मतदाताओं का विश्वास बहाल करवाने की चाल भी मानते हैं। कनाडा में जल्दी ही चुनाव होने वाले हैं और पीएम जस्टिन ट्रूडो घरेलू मैदान में बुरी तरह उलझे हुए हैं।
अब नए नियमों में कहा गया है कि ग्रैजुएट कोर्सेस के लिए वित्तीय इंतजाम के बिना छात्रों के पति या पत्नी ओपन वर्क परमिट प्राप्त नहीं कर सकते हैं। ओपन वर्क परमिट के अभाव में उनकी आकांक्षाएं अब धराशायी हो गई हैं, जो एक ‘आईईएलटीएस-पास’ लड़का या लड़की के साथ शादी करने की योजना बना चुके थे। पंजाब में ऐसी ‘आईईएलटीएस शादियां’ कनाडा जाने के लिए एक नया रास्ता बन गई थी। घोषणा के मुताबिक बिना कानूनी दस्तावेजों के कनाडा में रहने वाले लोगों को स्थायी निवासी कार्ड जारी किए जाएंगे। इनमें वे लोग भी शामिल हैं, जिनके वर्क परमिट या अंतरराष्ट्रीय छात्र वीजा की अवधि समाप्त हो गई है। अवैध आप्रवासियों को कानूनी दर्जा देने का निर्णय साल 2025 तक कनाडा में पांच लाख लोगों को आव्रजन देने की योजना का हिस्सा है।