आईपीसी की धारा-306 के अनुसार, ‘अगर कोई व्यक्ति आत्महत्या करता है, तो उसे जो भी शख्स यह कदम उठाने के लिए उकसाता है, उसे 10 साल तक की जेल की सजा हो सकती है और उस पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।’ सीबीआई ने आरोप लगाया था कि मुंबई पुलिस द्वारा जब्त किया गया पत्र जिया ने ही लिखा था। जांच एजेंसी ने दावा किया था कि पत्र में सूरज के साथ जिया के अंतरंग संबंधों के साथ-साथ उनके कथित शारीरिक शोषण, मानसिक और शारीरिक यातना के बारे में बात की गई है, जिस वजह से उन्होंने खुदकुशी की।
(PKL): सीबीआई की अदालत ने अभिनेत्री जिया खान को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप से सूरज पंचोली को बरी कर दिया है। इस मामले में 10 साल बाद कोर्ट का फैसला आया है। कोर्ट ने कहा- आपके खिलाफ सबूतों की कमी है। इसलिए हम आपको दोषी नहीं ठहरा सकते। आप बरी किए जाते हैं।’ अगर अभिनेता आदित्य पंचोली और जरीना वहाब के बेटे सूरज को इस मामले में दोषी ठहराया जाता है, तो उन्हें 10 साल तक की जेल की सजा हो सकती थी।
सीबीआई की विशेष अदालत के जज ए एस सैय्यद ने पिछले हफ्ते मामले में दोनों पक्षों की अंतिम दलीलें सुनी थीं और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। जिया (25) तीन जून 2013 को अपने जुहू स्थित घर में मृत मिली थीं। पुलिस ने जिया की ओर से कथित तौर पर लिखे छह पन्नों के पत्र के आधार पर सूरज को गिरफ्तार कर लिया था और उन पर आईपीसी की धारा-306 के तहत आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया था।